शिक्षण और अधिगम के सिद्धांत

शिक्षण का प्रमुख कार्य अधिगम पर केन्द्रित होता है। जब भी शिक्षण होगा. सभी अधिगम होगा। इस प्रकार हम यह सोच सकते हैं कि शिक्षण सम्पत्यय अधिगम के बिना कभी पूर्ण नहीं कहा जा सकता। लेकिन वी.ओ. स्मिथ (B. 0. Smith) के विचार सर्वथा विपरीत हैं। उसके अनुसार, यह आवश्यक नही तरल के शिक्षण द्वारा अधिगम उत्पन्न हो। शिक्षण और अधिगम दोनों सर्वथा आ भिन्न है। स्मिथ (Smith) के अनुसार तो शिक्षण क्रियाओं की वह प्रणाली है जिसके द्वारा अधिगम उत्पन्न करने की इच्छा की जाती है। (Teaching is a system of actions intended to produce learning.)

थॉमस ग्रीन (Thomas Green) ने अपनी पुस्तक शिक्षण की क्रियाएँ (Ac- tivities of Teaching) में स्पष्ट किया है कि शिक्षण के बिना अधिगम नहीं हो सकता, लेकिन अधिगम के बिना शिक्षण सम्भव है। शिक्षण का लक्ष्य अधिगम तो हो सकता है, लेकिन सारे ही शिक्षण से अधिगम हो ऐसा आवश्यक नहीं । साधारण से उदाहरण के साथ इसे और भी स्पष्ट किया जा सकता है। वकील का अदालत में केस लड़ने का उद्देश्य केस जीतना तो हो सकता है, लेकिन यह आवश्यक नहीं कि वह जीत ही जाये। डॉक्टर औषधि देता है और उसका उद्देश्य इलाज करना ही होता है, लेकिन यह आवश्यक नहीं कि रोगी उस डॉक्टर की औषधि से ठीक हो जाये। इस प्रकार शिक्षक विद्यार्थियों में अधिगम (Learning) उत्पन्न करना चाहता है, लेकिन सभी विद्यार्थियों में तो अधिगम उत्पन्न नहीं होता अर्थात् सभी विद्यार्थी तो सभी कुछ सीख नहीं पाते। विस्तृत रूप में शिक्षण उन उचित परिस्थितियों का निर्माण करता है जिनसे अधिगम अधिक-से-अधिक हो। इस प्रकार कोई भी अधिगम शिक्षण की अनुपस्थिति में सम्भव नहीं और हर प्रकार के शिक्षण से यह आवश्यक नहीं कि अधिगम अवश्य हो ।

शिक्षण और अधिगम में सम्बन्ध (Relationship Between Learning and Teaching)

शिक्षण और अधिगम एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, एक के बिना दूसरे का अस्तित्व नहीं रह जाता है। शिक्षण का प्रमुख कार्य है अधिगम के क्षेत्र में प्रभावशीलता लाना। शिक्षण और अधिगम में एक बहुत नजदीकी सम्बन्ध है, जब शिक्षण की बात आती है तो बिना अधिगम के वह अधूरा रहता है और जब अधिगम का जिक्र आता है तो बिना शिक्षण की चर्चा के यह अधूरा ही रहता है। अतः कहा जा सकता है शिक्षण एक प्रक्रिया है तथा अधिगम एक

उसका परिणाम उपलब्धि है। बर्नाड के अनुसार, “शिक्षण तथा अधिगम प्रक्रिया में शिक्षक तथा छात्र मिलकर अधिगम को बढ़ावा देते हैं। अर्थात् शिक्षण वह प्रक्रिया है जिसमें शिक्षक व विद्यार्थी सम्मिलित वातावरण का निर्माण करते हैं।”

शिक्षण और अधिगम के मध्य सम्बन्ध निम्नलिखित रूप से है-

(1) शिक्षण और अधिगम एक-दूसरे के अनुवर्द्धक भी है और अनुपूरक भी हैं।

(2) शिक्षण ही अधिगम को उद्दीप्त, निर्देशित एवं प्रोत्साहित करता है और विद्यार्थी के प्रभावशाली समायोजन में सहायता करता है।

(3) शिक्षण विद्यार्थी की क्रिया का निर्देशन एवं संवेगों का प्रशिक्षण है जिसमें सीखने का विकास होता है। अधिगम समायोजन का दूसरा नाम है।

(4) शिक्षण ही अधिगम (बच्चे) का कारण बनता है।

(5) अच्छे शिक्षण से तात्पर्य होता है-ज्यादा-से-ज्यादा अधिगम ।

Leave a Comment