मनोविज्ञान

मनोविज्ञान का जन्मदाता दर्शनशास्त्र (Philosophy) ही है। आज से कुछ वर्ष पूर्व मनोविज्ञान अलग विषय के रूप में विकसित नहीं था. बल्कि यह दर्शनशास्त्र की ही एक शाखा के रूप में था। मनोविज्ञान अग्रेजी भाषा के शब्द ‘साइकालोजी’ (Psychology) का हिन्दी रूपान्तर है। ‘साइकालोजी’ (Psychology) शब्द दो शब्दों के जोड़ से बना है अर्थात् ‘साईक (Psyche) जमा (+) ‘लोगोस’ (Logos) साइक का अर्थ है – आत्मा तथा लोगोस का अर्थ है- विज्ञान अर्थात् इसका अभिप्राय यह हुआ कि आत्मा का विज्ञान’ ।

मनोविज्ञान के जनक अरस्तू

बाल मनोविज्ञान की अवधारणा (Concept of Child Psychology)

बाल मनोविज्ञान बच्चों के व्यवहार से सम्बन्धित मनोविज्ञान है। इसमें बच्चों की वैयक्तिक विभिन्नताओ का ध्यान रखा जाता है।

यह बालकेन्द्रित शिक्षा पर बल देता है।

बालक का विकास गर्भाधान से प्रारम्भ हो जाता है और जीवन पर्यंन्त चलता है।

बालक आंतरिक वातावरण से मिलकर बाह्य वातावरण में आता है। बाल मनोविज्ञान में बालक की स्मृति, कल्पना, स्वभाव धारण शक्ति, अभिप्रेरणा आदि का अध्ययन किया जाता है।

बाल मनोविज्ञान का अर्थ (Meaning of Child Psychology)

बालको का अध्ययन जब मनोविज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है तो वह बाल मनोविज्ञान कहलाता है। बाल मनोविज्ञान दो शब्दों से मिलकर बना है –

बालक अर्थात् बाल मनोविज्ञान का अर्थ विज्ञान की वह शाखा है जो बालकों के व्यवहारो का अध्ययन गर्भावस्था से लेकर किशोरावस्था तक करती है।

  • क्रो और क्रो के अनुसार – “बाल मनोविज्ञान वह वैज्ञानिक अध्ययन है जो व्यक्ति के विकास का अध्ययन गर्भकाल की प्रारम्भिक अवस्था से किशोरावस्था तक करता है।”
  • आइजनेक के अनुसार – “बाल मनोविज्ञान, बालक में मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के विकास से सम्बन्धित विज्ञान है, जो शिशु जन्म पूर्व, जन्म के समय, शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था और परिपक्वावस्था तक बालक में मनोवैज्ञानिक विकास प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है।” 3. जेम्स ड्रेवर के अनुसार – “बाल मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जो प्राणी के विकास का अध्ययन जन्म से परिपक्वावस्था तक करती है।”
  • बाल विकास, मनोविज्ञान की एक शाखा के रूप में विकसित हुआ है। इसके अन्तर्गत बालकों के व्यवहार, स्थितियाँ, समस्याओं तथा उन सभी कारणों का अध्ययन किया जाता है, जिनका प्रभाव बालक के व्यवहार पर पड़ता है। क्रो एण्ड क्रो के अनुसार-‘बाल विकास वह विज्ञान है जो बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्युपर्यन्त तक करता है।”
  • डार्विन के अनुसार- बाल विकास व्यवहारों का वह विज्ञान है जो बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से मृत्युपर्यन्त तक करता है।”
  • हरलॉक के अनुसार – “बाल विकास मनोविज्ञान की वह शाखा है जो गर्भाधान से लेकर मृत्युपर्यन्त तक होने वाले मनुष्य के विकास की विभिन्न अवस्थाओं में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करता है।”
  • इस प्रकार उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट होता है कि बाल विकास बाल मनोविज्ञान की ही एक शाखा है जो (ⅰ) बालकों के विकास, (ii) व्यवहार, (iii) विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न तत्वों का अध्ययन करती है।

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